Tuesday, August, 12,2025

मेट्रो मास अस्पताल को नोटिस, 60 दिन में मांगा जवाब

जयपुर राजधानी जयपुर के मेट्रो मास अस्पताल की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने अनुबंध की कई प्रमुख शों के उल्लंघन के मामले में अस्पताल को सख्त नोटिस जारी किया है। मानसरोवर में पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर संचालित इस अस्पताल को 60 दिन में जवाब देने के निर्देश दिए गए हैं।

शों की पालना नहीं होने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। साल 2005 में जयपुर दक्षिण की बढ़ती आबादी को देखते हुए तत्कालीन सरकार ने मानसरोवर में 25 करोड़ रुपए की लागत से मेट्रो मास अस्पताल की नींव रखी थी। उद्देश्य था कि क्षेत्र की जनता को उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा सुविधा वाजिब दरों पर मिल सके। अस्पताल को 10 हजार वर्गमीटर भूमि पर विकसित कर
30 वर्षों के लिए पीपीपी मोड में निजी संस्था को सौंपा गया। संचालन की जिम्मेदारी मैसर्स मेट्रो मास हॉस्पिटल प्रा. लि. और मेट्रो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज प्रा. लि. को सौंपी गई थी।

एग्रीमेंट की हर शर्त को किया नजरअंदाज

एसएमएस मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल प्रशासन ने बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) मरीजों के लिए निर्धारित 20% निःशुल्क इलाज की शर्त की वर्षों से अनदेखी की है। न तो बीपीएल मरीजों का इलाज किया गया, ना ही इसके समकक्ष राशि राज्य सरकार के खाते में जमा करवाई गई। साथ ही, अस्पताल को सकल राजस्व का 7.2% हिस्सा सरकार को देना था, लेकिन अस्पताल द्वारा केवल शुद्ध राजस्व का हिस्सा दिया गया। इतना ही नहीं, अस्पताल को प्रत्येक तिमाही में ऑडिटेड दस्तावेज प्रस्तुत करने थे, जो अब तक नहीं किए गए। एस्क्रो अकाउंट भी 2011 में खुलना था, जबकि इसे 2017 में खोला गया, वो भी एग्रीमेंट की मंशा के अनुरूप नहीं था।

हाई कोर्ट की रोक के बीच फूंक-फूंक कर उठाया कदम

मेट्रो मास अस्पताल से जुड़े एक मामले में हाई कोर्ट ने 2021 में स्टे दे रखा है। इसी कारण एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने नोटिस जारी करने से पूर्व विधिक सलाह ली और यह सुनिश्चित किया कि जिन बिंदुओं पर कोर्ट का स्टे है, उनमें कोई कार्रवाई न हो। प्राचार्य डॉ. दीपक माहेश्वरी की ओर से भेजे गए नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि केवल उन बिंदुओं पर जवाब मांगा गया है, जो स्टे से बाहर हैं।

दस्तावेजी साक्ष्य जुटाने में लगा एसएमएस कॉलेज प्रशासन

पिछले 15 वर्षों से पीपीपी अनुबंध की लगातार अनदेखी पर अब कॉलेज प्रशासन ने उच्च स्तर पर गंभीर रुख अपनाया है। सरकार और अस्पताल के बीच हुए कंसेशन एग्रीमेंट की बारीकी से समीक्षा की जा रही है और दस्तावेज जुटाए जा रहे हैं, ताकि कोर्ट में भी सरकार अपना पक्ष मजबूती से रख सके।

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