Tuesday, August, 12,2025

धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से दिया इस्तीफा

जयपुर: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे त्यागपत्र में स्वास्थ्य कारणों और डॉक्टरी सलाह का हवाला देते हुए तत्काल प्रभाव से पद छोड़ने की घोषणा की। धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था। 74 वर्षीय धनखड़ ने अपने पत्र में राष्ट्रपति के सहयोग, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के साथ सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए आभार जताया। धनखड़ खड़ के इस्तीफे के साथ ही वे संसद सत्र के दौरान त्याग पत्र देने वाले पहले उपराष्ट्रपति बन गए हैं। वर्तमान में संसद का मानसून सत्र चल रहा है और उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। ऐसे में धनखड़ का इस्तीफा संवैधानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

धनखड़ के इस्तीफे के साथ ही वे संसद सत्र के दौरान त्याग पत्र देने वाले पहले उपराष्ट्रपति बन गए हैं। वर्तमान में संसद का मानसून सत्र चल रहा है और उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। ऐसे में धनखड़ का इस्तीफा संवैधानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

झुंझुनूं से लेकर दिल्ली तक का सफर

18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले में जन्मे धनखड़ का जीवन एक सामान्य किसान परिवार से निकलकर देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंचने की कहानी है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई, फिर उन्होंने सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में पढ़ाई की। हालांकि NDA में चयन होने के बावजूद वे सेना में नहीं गए। उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से स्नातक और फिर एलएलबी की पढ़ाई की। इसके बाद जयपुर में वकालत शुरू की।

त्याग पत्र में धनखड़ ने क्या लिखा...

माननीय राष्ट्रपति जी...
सेहत को प्राथमिकता देने और डॉक्टर की सलाह का पालन करने के लिए मैं संविधान के अनुच्छेद 67 (क) के अनुसार अपने पद से इस्तीफा देता हूं। मैं भारत के राष्ट्रपति के प्रति गहरी कृतज्ञता प्रकट करता हूं। आपका समर्थन अडिग रहा और आपके साथ मेरा कार्यकाल शांतिपूर्ण और उत्कृष्ट रहा। मैं माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिपरिषद के प्रति भी गहन कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है। माननीय सांसदों से मुझे जो स्नेह, विश्वास और अपनापन मिला, वह मेरी स्मृति में सदैव रहेगा। मैं इस बात के लिए आभारी हूं कि मुझे इस महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में जो अनुभव और ज्ञान प्राप्त हुआ, वह अत्यंत मूल्यवान रहा। यह मेरे लिए सौभाग्य और संतोष की बात रही है कि मैंने भारत की अभूतपूर्व आर्थिक प्रगति और इस परिवर्तनकारी युग में उसके तीव्र विकास को देखा और उसमें भागीदारी की। हमारे राष्ट्र के इतिहास के इस महत्वपूर्ण दौर में सेवा करना मेरे लिए सच्चे सम्मान की बात रही है। आज जब मैं इस सम्माननीय पद को छोड़ रहा हूं, मेरे हृदय में भारत की उपलब्धियों और उज्ज्वल भविष्य के लिए गर्व और अटूट विश्वास है। - गहरी श्रद्धा और आभार के साथ, जगदीप धनखड़

वर्ष 2022 में बने थे 14 वें उपराष्ट्रपतिः जगदीप धनखड़ ने 6 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। उस चुनाव में उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया था। धनखड़ को 528 वोट मिले थे, जबकि अल्वा को मात्र 182 वोट प्राप्त हुए थे। अनुच्छेद 91 के तहत, जब तक उपराष्ट्रपति का पद रिक्त रहेगा, तब तक राज्यसभा के उपसभापति कार्यवाहक सभापति की भूमिका निभाएंगे।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहेः धनखड़ को 30 जुलाई 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पश्चिम बंगाल का 28वां राज्यपाल नियुक्त किया था। इससे पहले वे 1989 में झुंझुनूं से लोकसभा सांसद चुने गए और वीपी सिंह तथा चंद्रशेखर सरकारों में केंद्रीय मंत्री रहे।

 

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