Friday, September, 26,2025

केंद्र ने 5 साल में आम जनता को दी 8 लाख करोड़ से ज्यादा की राहत

जयपुर: गरीब, अमीर की बहस के बीच देश में आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मोदी सरकार के दो कार्यकाल में रिटर्न के दायरे में आने वाले लोगों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। मोदी सरकार के पहले से ज्यादा दूसरे कार्यकाल के बाद रिटर्न भरने वालों की संख्या में इजाफा देखने को मिला है। वर्ष 2019-20 की तुलना में 2024-25 में देश भर में रिटर्न भरने वालों की संख्या 8 करोड़ 39 लाख 73 हजार 416 पहुंच गई। वर्ष 2019-20 में यह संख्या 6 करोड़ 47 लाख 88 हजार 494 थी। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या भले ही बढ़ी है, लेकिन जीरो टैक्सपेयर की संख्या भी इतनी ही तेजी से बढ़ी है। 2019-20 में जहां ऐसे जीरो टैक्सपेयर 2 करोड़ 90 लाख 36 हजार 234 थे, वहीं 2024-25 के आयकर संग्रहण में जीरो टैक्सपेयर की संख्या बढ़कर 5 करोड़ 57 लाख 95 हजार 391 हो गई है। इसी अवधि में 2 करोड़ 67 लाख 59 हजार 157 व्यक्ति शून्य करदाता की श्रेणी में शामिल हुए हैं।

पांच साल में चार बार बदले स्लैब

केंद्र की आयकर नीति के तहत 2020-21 से लेकर 2025-26 तक चार बार टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया है। इस टैक्स स्लैब के चलते आयकर रिटर्न के दायरे में आने वाले व्यक्ति तेजी से बढ़े हैं। लेकिन, दूसरी तरफ सरकार ने इन स्लैबों में बदलाव करके पिछले पांच सालों में व्यक्तिगत आयकर के मामले में 8 लाख 69 हजार 907 करोड़ का राजस्व छोड़ा है। यह वह राहत है जिसका अनुमान आयकर विभाग ने अधिकृत तौर पर लगाया है। वहीं, हाल ही में केंद्र के 2025-26 के बजट में सरकार ने नए आयकर स्लैब से करीब एक लाख करोड़ के टैक्स का परित्याग का अनुमान लगाया है।

राजस्थान में 2024-25 में 55 लाख से ज्यादा ने की रिटर्न फाइल

राजस्थान में आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या 2024-25 में 55 लाख 14 हजार 304 रही थी। इनमें से 41 लाख 4 हजार 102 व्यक्ति ऐसे थे, जिनके आयकर की गणना शून्य थी। यानी, राजस्थान में केवल 14 लाख 10 हजार 202 व्यक्तियों ने ही आयकर दिया है। राजस्थान में वर्ष 2024-25 में रिटर्न भरने वाले 55 लाख 14 हजार 304 लोगों में से 41 लाख 4 हजार 102 तो जीरो टैक्सपेयर रहे।

182% बढ़ गया डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन

सीबीडीटी (Central Board Of Direct Taxes) के डेटा के मुताबिक वित्त वर्ष 2014-15 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी, तब डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 6,95,792 करोड़ रुपए (6.96 लाख करोड़ रुपए के करीब) रहा था, जो वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 19,60,166 करोड़ रुपए (19.60 लाख करोड रुपए) रहा है। यानी, मोदी सरकार के 10 सालों के कार्यकाल में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन, जिसमें इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स और सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स शामिल हैं, में 12,64,374 करोड़ रुपए (12.64 लाख करोड़ रुपए के करीब) यानी 182 फीसदी का उछाल आया है। वित्त वर्ष 2024-25 में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 1.32 लाख करोड़ रुपए रहा था। 2023-24 में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मिलाकर 19.62 लाख करोड रुपए प्राप्त हुए थे। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में 17.7 प्रतिशत ज्यादा है।

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