Sunday, October, 05,2025

ऋण उपलब्ध करवाने में शहरी निकायों की कछुआ चाल

जयपुर: गरीब और असंगठित सेवा क्षेत्र से जुड़े श्रमिकों को आर्थिक संबल देने के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री स्व-निधि योजना को लेकर प्रदेश के अधिकांश शहरी निकाय गंभीर नहीं हैं। योजना की शुरुआत को छह महीने से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन ग्राउंड पर इसका क्रियान्वयन बेहद निराशाजनक है। अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता का आलम यह है कि 50 हजार से अधिक लक्ष्यों के मुकाबले अब तक केवल 206 लाभार्थियों को ही ऋण मिल पाया है यानी कुल लक्ष्य का मात्र 0.40 प्रतिशत ही। मुख्यमंत्री स्व-निधि योजना राज्य सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है, लेकिन शहरी निकायों की लापरवाही इसके लक्ष्य को बुरी तरह प्रभावित कर रही है।

फ्लैगशिप योजना पर जिम्मेदारों की सुस्ती

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की परिकल्पना पर आधारित यह योजना प्रधानमंत्री स्व-निधि योजना से वंचित रहने वाले श्रमिकों जैसे गिग वर्कर, डोमेस्टिक वर्कर, ट्रांसपोर्ट वर्कर, रेग पिकर, वेस्ट वर्कर, दस्तकार आदि को कवर करती है। इन श्रमिकों को तीन चरणों में क्रमश: 10 हजार, 20 हजार और 50 हजार तक का ऋण उपलब्ध कराने का प्रावधान है। इसके बावजूद निकायों का रवैया बेहद ढीला है। मुख्य सचिव स्तर पर नियमित समीक्षा के बावजूद योजना के आंकड़े राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजना की सच्चाई उजागर करते हैं।

लापरवाही की कहानी बयां कर रहे आंकड़े

  • योजना का कुल लक्ष्यः 50,311 लाभार्थी
  • अब तक भरे गए आवेदन: 18,962 (37.69%)
  • बैंकों को भेजे गए आवेदन: 15,362
  • वितरित ऋण: 206 लाभार्थी (0.40%)
  • प्राप्त आवेदनों में से ऋण वितरण: 1.08%

निकायवार स्थिति बेहद चिंताजनक

नगर निगमों को 24,199 लाभार्थियों का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन अब तक केवल 6,280 आवेदन ही भरे गए हैं, जो 25% से कम है। पाली नगर निगम ने 1%, जयपुर हेरिटेज ने 2.78%, और जयपुर ग्रेटर ने मात्र 1% आवेदन भरे हैं। नगर परिषदों की स्थिति भी बेहतर नहीं है; 14,433 के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 6,051 आवेदन (41%) आए हैं। निम्बाहेड़ा और तिजारा नगर परिषद ने अब तक कोई आवेदन नहीं भरा। राज्य के 111 शहरी निकायों ने एक भी आवेदन नहीं भरा। यह स्थिति सरकार की मंशा पर पानी फेरने जैसी है।

योजना का मकसद और लाभ

इस योजना का उद्देश्य उन गरीब श्रमिकों को कर्ज उपलब्ध कराना है, जो अन्य योजनाओं में शामिल नहीं हो पाते। ऋण की पुनर्भुगतान अवधि 12 से 36 माह है, और पूरा कर्ज चुकाने पर राज्य सरकार 7% ब्याज अनुदान भी देती है। आवेदन ऑनलाइन किए जा सकते है, जिनमें जनाधार कार्ड, पहचान पत्र, निवास प्रमाण और व्यवसाय प्रमाण जैसे दस्तावेज जरूरी हैं। आवेदन स्थानीय निकायों से होकर बैंकों तक पहुंचाए जाते हैं।

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