Tuesday, November, 25,2025

80% से कम मतदान तो बिगड़ सकता है पारंपरिक समीकरण

जयपुर: अंता विधानसभा क्षेत्र पहली बार उपचुनाव के दौर से गुजर रहा है, और इसी के साथ राजनीतिक समीकरण भी नए सिरे से लिखे जा रहे हैं। मंगलवार को 2.28 लाख मतदाता उपचुनाव में अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। 2008 में अस्तित्व में आने के बाद से अंता में कभी उपचुनाव नहीं हुआ था, इसलिए इस बार का मतदान न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि भविष्य की राजनीति का महत्वपूर्ण संकेतक भी बन सकता है। अंता का चुनाव इतिहास बताता है कि यहां मतदान प्रतिशत ही परिणामों का सबसे निर्णायक तत्व रहा है। 2008 से 2023 तक हुए चार चुनावों में तीन बार मतदान 80% से ऊपर रहा और हर बार परिणाम परंपरागत भाजपा-कांग्रेस मुकाबले तक सीमित रहा। यही वजह है कि विश्लेषक मान रहे हैं कि यदि इस बार भी मतदान प्रतिशत ऊंचा रहा तो मुकाबला सीधा द्विपक्षीय होगा।

लेकिन अगर मतदान घटा, तो समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं, विशेषकर नरेश मीणा की मौजूदगी के कारण। इस बार अंता के 2,28,264 मतदाताओं में सबसे अधिक बढ़ोतरी महिला वोटरों में हुई है-1,11,477 महिलाएं और 1,16,783 पुरुष। पहली बार वोट डालने वाले 8,540 युवा भी इस बार का गणित पूरी तरह प्रभावित कर सकते हैं। अंता की पिछली जीत-हार के आंकड़े बताते हैं कि मामूली अंतर भी सरकारें और रणनीतियां बदल देता है। 2018 में कांग्रेस ने 34 हजार से जीत दर्ज की थी, जबकि 2023 में भाजपा ने मात्र 5,861 वोट से बाजी मारी। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि 80% से अधिक मतदान हुआ तो मुकाबला भाजपा बनाम कांग्रेस होगा, लेकिन यदि मतदान घटा तो नरेश मीणा पूरे चुनाव को टू-टू-वन मुकाबले में बदल सकते हैं।

भजनलाल-वसुंधरा की संयुक्त एंट्री

भाजपा ने इस उपचुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया है। पहली बार पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और वर्तमान सीएम भजनलाल शर्मा एक साथ चुनाव प्रचार में उतरे, जो संकेत देता है कि पार्टी अपना संगठन और वोट बैंक दोनों मजबूती से खड़ा करने में जुटी है। भाजपा उम्मीदवार मोरपाल सुमन के समर्थन में दोनों नेताओं की संयुक्त मौजूदगी ने क्षेत्र में राजनीतिक तापमान और बढ़ाया है।

भाया का स्थानीय पकड़ पर दांव

कांग्रेस के लिए यह मुकाबला पुराने अनुभव और स्थानीय पकड़ पर आधारित है। प्रमोद जैन भाया दो बार अंता से विधायक रह चुके हैं और दो बार बेहद कम अंतर से हार चुके हैं। उनका स्थानीय होना, सामाजिक संगठनों में सक्रियता और सभी समुदायों में स्वीकार्यता कांग्रेस को मजबूत आधार देता है। पारंपरिक रूप से कांग्रेस को मुस्लिम, वैश्य, गुर्जर, अजा और मीणा समुदाय का समर्थन मिलता रहा है।

नरेश ने मुकाबला त्रिकोणीय बनाया

इस बार की तस्वीर त्रिकोणीय हो चुकी है। नरेश मीणा के निर्दलीय उतरने से दोनों राष्ट्रीय पार्टियों को नुकसान का अंदेशा है। नरेश 2024 के देवली-उनियारा उपचुनाव में 60 हजार वोट हासिल कर कांग्रेस की जमानत तक जब्त करा चुके हैं। मीणा समुदाय के 25-30 हजार वोटों के साथ उन्हें आरएलपी, AAP, समाजवादी पार्टी और भीम आर्मी नेताओं का समर्थन मिला है।

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