Tuesday, November, 25,2025

भाया का प्रबंधन भारी पड़ा भाजपा के बूथ मैनेजमेंट पर

जयपुर:  अंता विधानसभा उपचुनाव ने राजस्थान की राजनीति को नई दिशा दे दी है। प्रदेश की इकलौती उपचुनाव वाली सीट पर निस तरह का मतदान और परिणाम सामने आए, उसने सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं को झटका दिया है। कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया ने 15,612 वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की, जबकि भाजपा के मोरपाल सुमन दूसरे स्थान पर रहे। त्रिकोणीय मुकाबले में निर्दलीय नरेश मीणा केवल 159 वोटों से दूसरे स्थान से चूक गए। यह परिणाम प्रमोद जैन भाया पर पुराने विश्वास के साथ ही कांग्रेस के माइक्रो मैनेजमेंट के चलते मिला है। उपचुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही दलों की प्रतिष्ठा दांव पर थी।

भाजपा प्रत्याशी मोरपाल सुमन के समर्थन में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़, सांसद दुष्यंत सिंह समेत कई वरिष्ठ नेता मैदान में उतरे। राजे और दुष्यंत एक सप्ताह तक फील्ड में डटे रहे, लेकिन ग्राउंड पर वोटरों की दिशा बदलने में यह प्रयास्न पर्याप्त साबित नहीं हुए। इधर कांग्रेस ने भाया के समर्थन में अशोक गहलोत, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जुली, सचिन पायलट और अशोक चांदना जैसे नेताओं को रणनीतिक रूप से तैनात किया। संगठन और नेताओं के संयुक्त प्रयास का असर बूथ स्तर तक दिखाई दिया।

कांग्रेस ने जातिगत वोटर्स के आधार पर रणनीति बना काम किया

कंवरलाल को सजा मिलने के बाद से ही प्रमोद जैन भाया क्षेत्र में पूरी तरह सक्रिय हो गए थे। वहीं, भाजपा से पहले कांग्रेस ने भाया को उम्मीदवार घोषित करने के कारण वे एक कदम आगे चल रहे थे। भाजपा ने जातिगत और स्थानीय फैक्टर को साधने के लिए मोरपाल को मैदान में उतारने में देरी की। साथ ही, चुनाव प्रचार प्रसार देरी से होने के कारण ग्राउंड पर पकड़ नहीं हो पाई। वहीं, निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा के मैदान में आने के बाद कांग्रेस के वोट टूटने के डर से भाया पहले ही अपर क्लास के वोट जुटाने की रणनीति में जुटे थे। वहीं लगातार भाया पर भाजपा नेताओं और निर्दलीय की ओर से व्यक्तिगत आरोप लगाने के कारण अपर क्लास के वोटर एकजुट हो गए और भाजपा उन्हें साधने में असफल रही। साथ ही कांग्रेस की ओर से अंता को 58 क्षेत्रों में बांटकर माइको मैनेजमेंट किया। क्षेत्रवार और जातिगत समीकरणों को साधने के लिए उसी तरह नेताओं को मैदान में उतारा। बूथ को मजबूत करते हुए पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने हर वोट को अपने पक्ष में करने के लिए जोर दिया। जिसका परिणाम रहा कि भाया ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

मोरपाल को खुद के गांव में मिले 63 वोट

मोरपाल सुमन को अपने खुद के गांव तिसाया से हार का सामना करना पड़ा। यहां वे तीसरे नंबर पर रहे, तिसाया गांव में सुमन को महज 63 वोट मिले। गांव के बूथ नंबर 4 पर कुल 568 वोट डाले गए। इनमें निर्दलीय नरेश मीणा को 462 वोट, प्रमोद जैन भाया को 49 वोट मिले, जबकि मोरपाल सुमन को सिर्फ 44 वोट ही नसीब हुए। इसी गांव के बूथ नंबर 5 पर 830 वोट पड़े, जिनमें नरेश मीणा को 571, भाया को 219 और सुमन को मात्र 19 वोट मिले। कुल मिलाकर गांव में 1,398 वोट डाले गए, लेकिन सुमन को सिर्फ 63 वोट ही हासिल हुए।

हार की समीक्षा करेंगे, ऑपरेशन भी करना पड़ा तो करेंगे: राठौड़

बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा है कि इस हार के लिए कोई एक व्यक्ति जिम्मेदार नहीं है। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। वहीं, सबसे ज्यादा हार की जिम्मेदारी मेरी है। उन्होंने कहा कि हम हार की समीक्षा करेंगे। इसमें कहीं कोई ऑपरेशन भी करना पड़ा तो हम करेंगे। समीक्षा के बाद जो भी कमियां सामने आएगी, उसमें हम सुधार करेंगे। चुनाव में टिकट मांग रहे नेताओं के सक्रिय नहीं करने के सवाल पर राठौड़ ने कहा कि यह निश्चित रूप से जांच का विषय है। उन्होंने कहा कि अंता में जनता ने जो जनादेश दिया है, उसे हम सहर्ष स्वीकार कर रहे हैं।

सरकार दो वर्षों की एक भी उपलब्धि बताने में नाकाम रही: गहलोत

अंता उपचुनाव में कांग्रेस की जीत पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि अंता की जीत ने कांग्रेस के नेतृत्व में आमजन का विश्वास एक बार फिर मजबूत किया है। भाजपा सरकार पिछले दो वर्षों की अपनी एक भी ठोस उपलब्धि बताने में नाकाम रही है। हमारी लोकप्रिय जनहितकारी योजनाओं को कमजोर करने के कारण आम आदमी बेहद परेशान है और यह परिणाम कांग्रेस सरकार की ओर से पूर्व में चलाई गई योजनाओं पर जनता की मुहर है। इस परिणाम से लगता है कि मात्र दो वर्षों में ही सरकार पर एंटी-इंकबेंसी हावी हो गई है और यह सरकार अपने लिटमस टेस्ट में फेल साबित हुई है।

अंता उपचुनाव पूरे प्रदेश में सरकार का टेस्टः डोटासरा

पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि अंता में धन बल, मशीनरी का दुरूपयोग किया गया, लेकिन जनता ने दिखा दिया कि उसने पर्चियों के लिए वोट नहीं दिया। चुनावी नतीजों से साफ है कि यह उपचुनाव सरकार का टेस्ट था, जिसमें सरकार फेल हुई है। भाजपा की फूट खुलकर सामने आ गई है। वहीं, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि कांग्रेस की योजनाओं और स्वीकृत प्रोजेक्ट को सरकार ने रोका है।

 

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