Friday, September, 26,2025

वायु प्रदूषण रोकने पर 3 सप्ताह में ब्यौरा करें तैयार: SC

नई दिल्ली: सर्दियों में प्रदूषण के स्तर में सामान्य वृद्धि से चिंतित, सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोडों को बुधवार को निर्देश दिया कि वे सर्दियों की शुरुआत से पहले वायु प्रदूषण को रोकने के उपायों का ब्यौरा तीन सप्ताह के भीतर तैयार करें। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने पंजाब सरकार से पूछा कि वायु प्रदूषण के एक अहम कारक पराली जलाने में संलिप्त कुछ किसानों को गिरफ्तार क्यों न किया जाए, ताकि एक सख्त संदेश दिया जा सके।

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई और न्यायाधीश के विनोद चंद्रन की पीठ ने प्रदूषण नियंत्रण बोडों में खाली
पदों को लेकर राज्यों पर नाखुशी जाहिर की और उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब को तीन माह के भीतर इन्हें भरने का आदेश दिया।

पीठ उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोडों में रिक्त पदों को भरने से संबंधित एक स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई कर रही थी। न्यायालय ने इन राज्यों, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को तीन महीने के भीतर रिक्त पदों को भरने को कहा। हालांकि, पीठ ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोडों, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग में पदोन्नति वाले पदों को भरने के लिए छह माह का समय दिया।

सीजेआई ने पूछा- किसानों को दंडित क्यों नहीं किया जा सकता

प्रधान न्यायाधीश ने पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा से पूछा कि पराली जलाने के लिए दोषी किसानों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जाना चाहिए और उन्हें दंडित क्यों नहीं किया जाना चाहिए? सीजेआई गवई और न्यायाधीश के विनोद चंद्रन की पीठ ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, आप निर्णय लें, अन्यथा हम आदेश जारी करेंगे। प्रधान न्यायाधीश ने पूछा, किसान खास हैं और हम उनकी बदौलत खा रहे हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम पर्यावरण की रक्षा नहीं कर सकते। आप दंड के कुछ प्रावधानों के बारे में क्यों नहीं सोचते? अगर कुछ लोग सलाखों के पीछे होंगे, तो इससे सही संदेश जाएगा। अगर पर्यावरण की रक्षा करने का आपका सचमुच इरादा है, तो फिर आप क्यों कतरा रहे है?

जैव ईंधन के रूप में उपयोग पर करें विचार

सीजेआई ने कहा, मैंने अखबारों में पढ़ा था कि पराली का इस्तेमाल जैव ईंधन के रूप में भी किया जा सकता है। हम इसे पांच साल की प्रक्रिया नहीं बना सकते! उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि राज्य वास्तव में पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है तो उसे कठोर दंडात्मक प्रावधानों पर विचार करना चाहिए। मेहरा ने कहा कि पंजाब सरकार ने पहले ही कई कदम उठाए हैं और प्रदूषण का स्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता और न्यायमित्र अपराजिता सिंह ने कहा कि सब्सिडी, उपकरण और 2018 से शीर्ष अदालत के बार-बार आदेशों के बावजूद जमीनी स्थिति में काफी सुधार नहीं हुआ है। प्रधान न्यायाधीश ने मेहरा द्वारा व्यक्त की गई चिताओं का संज्ञान लिया, अपनी टिप्पणियों को स्पष्ट किया और कहा कि गिरफ्तारियां नियमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि एक उदाहरण स्थापित करने के लिए आवश्यक हो सकती हैं।

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