Saturday, April, 19,2025

कश्मीर मुद्दे पर जयशंकर ने UN को सुनाई खरी-खरी हमलावर व पीड़ित को एक श्रेणी में रखा, चुनिंदा तरीके से लागू किए नियम

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से किसी क्षेत्र पर सबसे लंबे समय तक अवैध कब्जा कश्मीर पर देखने को मिला है। उन्होंने स्पष्ट रूप से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के संदर्भ में यह बात कही। जयशंकर ने संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से संबंधित मुद्दों पर वैश्विक नियमों को चुनिंदा तरीके से लागू किए जाने का भी उल्लेख किया।

विदेश मंत्री ने 'रायसीना डायलॉग' के एक सत्र में एक 'मजबूत और निष्पक्ष' संयुक्त राष्ट्र की भी हिमायत की। साथ ही, उन्होंने कुछ मुद्दों से निपटने में हुए ऐतिहासिक अन्याय को लेकर चिंता जताई। विदेश मंत्री ने कश्मीर पर पाकिस्तान के अवैध कब्जे का हवाला देते हुए कहा कि हमलावर और पीड़ित को एक ही श्रेणी में रखा गया है। 1947 में जम्मू और कश्मीर भारत का हिस्सा बन गया।इसके बाद पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर एकतरफा आक्रमण किया। तब से पाकिस्तान ने भारत के कुछ हिस्से पर कब्जा कर रखा है। उन्होंने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र गए। संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान के अवैध कब्जे की निंदा न करके बहुत बड़ी गलती की। उसने जो आक्रमण था, उसे विवाद बना दिया।

नई वैश्विक व्यवस्था की जरूरत

जयशंकर ने एक नई वैश्विक व्यवस्था की मांग उठाई और कहा कि वैश्विक मानदंडों और नियमों को समान रूप से लागू किया जाना चाहिए। हमें एक मजबूत संयुक्त राष्ट्र की जरूरत है। मगर एक मजबूत संयुक्त राष्ट्र के लिए एक निष्पक्ष संयुक्त राष्ट्र की आवश्यकता होगी। एक मजबूत वैश्विक व्यवस्था में मानकों में कुछ बुनियादी स्थिरता होनी चाहिए।

'अमेरिका प्रथम' नीति का मतलब 'केवल अमेरिका' नहीं : तुलसी गबार्ड

अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने 'रायसीना डायलॉग' के एक सत्र में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 'अमेरिका प्रथम' की नीति को 'केवल अमेरिका' के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि 'अमेरिका प्रथम' का मतलब 'केवल अमेरिका' है। ट्रंप की 'अमेरिका प्रथम' नीति की तरह ही प्रधानमंत्री मोदी भी 'इंडिया प्रथम' दृष्टिकोण को लेकर प्रतिबद्ध है। गबार्ड ने कहा कि मौजूदा समय भारत-अमेरिका संबंधों को प्रगाढ़ करने और नई ऊंचाइयों पर ले जाने का बहुत बड़ा अवसर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले महीने वाशिंगटन डीसी में अपनी बैठक में दोनों देशों के बीच समग्र द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए दृष्टिकोण प्रस्तुत किया था। मुझे विश्वास है कि दोनों देशों के बीच यह साझेदारी और मित्रता लगातार बढ़ती रहेगी। गबार्ड ने मोदी-ट्रंप की बैठक को दो पुराने दोस्तों का फिर से मिलना बताया। दुनिया में भू-राजनीतिक उथल-पुथल पर चर्चा करते हुए गबार्ड ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर प्रतिबद्ध है।

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