Wednesday, November, 26,2025

स्वदेशी और स्वावलंबन का कोई विकल्प नहीं: भागवत

नागपुर: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी पर नागपुर में संघ के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को वैश्विक संबंधों में आत्मनिर्भरता की राह चुननी होगी ताकि अंतरराष्ट्रीय परस्पर निर्भरता मजबूरी में न बदले। उन्होंने चेतावनी दी कि देश में अशांति फैलाने की कोशिश करने वाली ताकतें अंदर और बाहर दोनों जगह सक्रिय हैं, इसलिए हमें अधिक सतर्क और मजबूत बनने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि रहे। भागवत ने भाषण की शुरुआत महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि देकर की। भागवत ने कहा कि आरएसएस ने गत 100 वर्ष में प्रलोभन का प्रतिकार कर व्यक्ति निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया। भागवत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले को याद करते हुए कहा कि आतंकियों ने धर्म पूछकर निर्दोष हिंदुओं की हत्या की, जिस पर भारत ने कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा, इस हमले ने हमें सिखाया कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में कौन हमारे मित्र हैं और किस हद तक। सुरक्षा के मामले में हमें हमेशा सजग और समर्थ रहना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि 'स्वदेशी और स्वावलंबन का कोई विकल्प नहीं है। दुनिया आपसी संबंधों से चलती है, लेकिन यह निर्भरता हमारी मजबूरी न बने।'

हमारे पड़ोसी देशों में अशांति चिंता का विषय

भागवत ने नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश में हाल की उथल-पुथल का हवाला देते हुए कहा कि वहां की अशांति सरकार और समाज के बीच दूरी तथा सक्षम प्रशासन की कमी के कारण हुई। उन्होंने कहा कि भारत को ऐसे हालात से सावधान रहना चाहिए, क्योंकि असंतोष का फायदा उठाकर बाहरी ताकतें हस्तक्षेप करने लगती हैं। भागवत ने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत की ओर आशा से देख रही है। युवा पीढ़ी में देशभक्ति और संस्कृति के प्रति बढ़ता प्रेम भविष्य के भारत को वैश्विक नेतृत्व दिला सकता है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन को भी गंभीर चुनौती बताते हुए हिमालयी क्षेत्र में जल संकट को पूरे दक्षिण एशिया के लिए खतरे की घंटी बताया।

भागवत का उद्बोधन प्रेरकः मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के वार्षिक विजयादशमी संबोधन की सराहना करते हुए इसे प्रेरणादायक बताया। मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा कि भागवत जी ने राष्ट्र निर्माण में संघ के अतुलनीय योगदान और भारत की छिपी क्षमताओं को उजागर किया। भागवत ने अपने भाषण में हिंदू समाज की सांस्कृतिक एकता और शक्ति पर जोर दिया और कहा कि समाज में "हम और वे" की अवधारणा कभी अस्तित्व में नहीं रही। संघ प्रमुख भागवत ने पहलगाम हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय मित्रता और सुरक्षा की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।

हिंसा से बदलाव संभव नहीं

भागवत ने चेतावनी दी कि हिंसक आंदोलनों से बदलाव नहीं आता, बल्कि इससे अराजकता पैदा होती है। 'लोकतांत्रिक तरीकों से ही समाज में सुधार हो सकता है। हिंसा से केवल बाहरी शक्तियों को हस्तक्षेप का मौका मिलता है'। संघ प्रमुख ने हिंदू समाज की एकता और सांस्कृतिक परंपरा को भारत की असली ताकत बताया। उन्होंने कहा, हमारे समाज में 'हम' और 'वे' की भावना नहीं है। आक्रमणकारी आते गए, लेकिन हमारी जीवन पद्धति कायम रही। यही सांस्कृतिक एकता हमारी शक्ति है।

अच्छे लोग राजनीति से दूर रह रहे हैं: रामनाथ कोविंद

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि आज 'अच्छे लोग' राजनीति से दूर रह रहे हैं। उन्होंने युवाओं से देश के राजनीतिक परिदृश्य का हिस्सा बनने का आह्वान किया। संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और डॉ. भीमराव अंबेडकर ने उनके जीवन को आकार देने में अहम भूमिका निभाई। कोविंद ने कहा कि संघ में न तो जातिवाद है और ना ही भेदभाव।

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