Friday, September, 26,2025

क्या बिल की मंजूरी के लिए समय सीमा तय कर सकता है SC!

नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्य विधानसभाओं से पारित विधेयकों पर फैसला लेने के संबंध में राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए समय सीमा निर्धारित करने से संबंधित आठ अप्रैल के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट से 14 सवाल पूछे हैं।

राष्ट्रपति मुर्मू ने अनुच्छेद 143(1) के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में ऐसा प्रतीत होता है कि सार्वजनिक महत्व के कई कानूनी सवाल उठे हैं, जिन पर सुप्रीम कोर्ट की राय लेने की आवश्यकता है। संविधान का अनुच्छेद 143(1) सुप्रीम कोर्ट से परामर्श करने से जुड़ी राष्ट्रपति की शक्ति से संबंधित है। इस शक्ति का इस्तेमाल राष्ट्रपति तब करता है जब उसे यह प्रतीत होता है कि किसी कानून या किसी तथ्य को लेकर कोई सवाल खड़ा हुआ है या इसकी आशंका है।

राष्ट्रपति ने शीर्ष अदालत से पूछे ये प्रश्न

  • जब भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 के अंतर्गत राज्यपाल के समक्ष कोई विधेयक प्रस्तुत किया जाता है तो उसके पास संवैधानिक विकल्प क्या हैं?
  • क्या राज्यपाल के समक्ष कोई विधेयक प्रस्तुत किए जाने पर वह अपने पास उपलब्ध सभी विकल्पों का उपयोग करते हुए मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह को लेकर बाध्य है?
  • क्या संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल द्वारा संवैधानिक विवेक का उपयोग न्यायोचित है?
  • क्या संविधान का अनुच्छेद 361, अनुच्छेद 200 के अंतर्गत राज्यपाल के कार्यों के संबंध में न्यायिक समीक्षा पर पूर्ण पाबंदी लगाता है?
  • राज्यपाल द्वारा शक्तियों के इस्तेमाल की संवैधानिक रूप से निर्धारित समय-सीमा और प्रक्रिया के अभाव में, क्या न्यायिक आदेशों के माध्यम से राज्यपाल के लिए समयसीमा और प्रक्रिया निर्धारित की जा सकती है।
  • क्या भारत के संविधान के अनुच्छेद 201 के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा संवैधानिक विवेक का प्रयोग न्यायोचित है?
    संवैधानिक रूप से निर्धारित समय-सीमा और राष्ट्रपति द्वारा शक्तियों के इस्तेमाल के तरीके के अभाव में, क्या न्यायिक आदेशों के माध्यम से राष्ट्रपति के लिए समय-सीमा और प्रक्रिया निर्धारित की जा सकती है।
  • क्या राष्ट्रपति को भारत के संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत संदर्भ के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट से सलाह लेने की आवश्यकता है और जब राज्यपाल किसी विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजता या अपने पास सुरक्षित रखता है, तो सुप्रीम कोर्ट की राय लेनी होगी?
  • क्या राज्यपाल और राष्ट्रपति के फैसले कानून बनने से पहले के चरण में न्यायोचित है? क्या न्यायालयों को किसी विधेयक के कानून बनने से पहले उसकी विषय-वस्तु पर किसी भी तरह से न्यायिक निर्णय लेने की अनुमति है?
  • क्या संवैधानिक शक्तियों का उपयोग और राष्ट्रपति/राज्यपाल के आदेशों को भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत किसी भी तरह से प्रतिस्थापित किया जा सकता है?
  • क्या राज्य विधानमंडल द्वारा बनाया गया कानून राज्यपाल की स्वीकृति के बिना लागू माना जाता है?
  • क्या न्यायालय की किसी भी पीठ के लिए यह तय करना अनिवार्य नहीं है कि उसके समक्ष पेश याचिका में संविधान की व्याख्या की जरूरत है और इसे न्यूनतम पांच न्यायाधीशों की पीठ को भेजा जाए?
  • क्या सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियां प्रक्रियात्मक कानून के मामलों तक सीमित हैं या यह निर्देश जारी करने /आदेश पारित करने तक विस्तारित है?
  • क्या संविधान, अनुच्छेद 131 के अंतर्गत मुकदमे के अलावा, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच विवादों के हल के लिए सर्वोच्च न्यायालय के किसी अन्य क्षेत्राधिकार पर रोक लगाता है?
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