Wednesday, November, 05,2025

मोदी युग का सफरः सूखाग्रस्त गुजरात से विकसित भारत तक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र सेवा में 24 वर्ष पूरे कर अपने अखंड नेतृत्व के 25वें वर्ष की शुरुआत कर रहे हैं। 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेतृत्व करने तक का उनका सफर लचीलेपन, सुधार और परिवर्तन की कहानी है। जब मोदी ने 7 अक्टूबर, 2001 को गुजरात की सत्ता संभाली, तब राज्य विनाशकारी भुज भूकंप से जूझ रहा था, जिसके साथ वर्षों का सूखा, एक महाचक्रवात और राजनीतिक अनिश्चितता भी थी। ये विकट चुनौतियां ही वह कठिन परीक्षा बनीं जिसमें उनके शासन का मॉडल- निर्णायक, जन-केंद्रित और परिणाम-उन्मुख गढ़ा गया।

उस समय, गुजरात की अर्थव्यवस्था गतिहीन थी। गरीब किसान पानी और बिजली की कमी से जूझ रहे थे, उद्योगों की गति धीमी हो गई थी और जनता का विश्वास कम था। अपनी मां की "हमेशा गरीबों के लिए काम करो और कभी रिश्वत मत लो" की सलाह से प्रेरित होकर, मोदी ने व्यापक सुधारों की शुरुआत की। अगले तेरह वर्षों में, गुजरात में उल्लेखनीय परिवर्तन हुए- सुखाग्रस्त क्षेत्रों में कृषि स्थिरता आई, औद्योगिक विकास में तेजी आई, सामाजिक सुरक्षा प्रणालियां मजबूत हुई और शासन दक्षता और नवाचार का एक मानक बन गया। अशांति की जगह स्थिरता ने ले ली और यह राज्य पूरे भारत में दूसरों के लिए एक आदर्श बन गया।

2014 में, मोदी ने नीतिगत गतिरोध, भ्रष्टाचार के घोटालों और शासन में घटते विश्वास के बीच भारत का राष्ट्रीय नेतृत्व संभाला। तब से, भारत ने अपनी परंपरा और संस्कृति पर लगातार गर्व हासिल किया है और साथ ही वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। आज, भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, जो दूरदर्शी नीति-निर्माण और व्यावहारिक शासन का प्रतीक है। आत्मनिर्भर भारत जैसी पहलों ने आत्मनिर्भरता को मजबूत किया है, जबकि गरीब किसानों, युवाओं और महिलाओं- जिन्हें भाजपा के अनुसार "चार नई जातियां" कहा जाता है- के लिए लक्षित कार्यक्रमों ने भारत के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को नया रूप दिया है।

आर्थिक परिवर्तन के अलावा, मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा को प्राथमिकता दी है, जिसमें आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक कदम और ऑपरेशन सिंदूर जैसी पहल शामिल हैं, जिससे भारत की रक्षा और जनता का विश्वास मजबूत हुआ है। उनकी सरकार ने विश्वगुरु के रूप में भारत की भूमिका को भी बढ़ावा दिया है, वैश्विक स्तर पर सक्रिय रहते हुए नैतिक और सांस्कृतिक नेतृत्व को मजबूत किया है। बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण, डिजिटलीकरण और कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में सुधारों ने शासन को मजबूत किया है और यह सुनिश्चित किया है कि लाभ सबसे हाशिए पर पड़े समुदायों तक भी पहुंचे।

मोदी का नेतृत्व हमेशा सत्ता के बजाय सेवा से प्रेरित रहा है। भूकंप प्रभावित गुजरात के पुनर्निर्माण से लेकर भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ाने तक, उन्होंने दिखाया है कि विनम्रता और उद्देश्य पर आधारित दूरदर्शी शासन, एक राज्य और एक राष्ट्र, दोनों को बदल सकता है। भारत आज अपनी परंपराओं, संस्कृति और मूल्यों को अपनाते हुए गौरवान्वित है और एक ऐसी वैश्विक पहचान हासिल कर रहा है जो उसकी क्षमता और आकांक्षाओं को दर्शाती है।

जैसे-जैसे मोदी जनसेवा के 25वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, विकसित भारत का उनका दृष्टिकोण प्रेरणादायी बना हुआ है, यह दशाता है कि कैसे सिद्धांतबद्ध नेतृत्व, साहसिक सुधार और गरीबों के प्रति प्रतिबद्धता एक राष्ट्र को प्रगति और वैश्विक सम्मान की ओर अग्रसर कर सकती है।

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