Wednesday, April, 09,2025

रामजन्मभूमि आंदोलन में तीन पीढ़ियां रही समर्पित राम मंदिर के लिए सत्ता गंवानी पड़े तो भी कोई समस्या नहीं

अयोध्या (उप्र): उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि राम मंदिर के लिए अगर सत्ता भी गंवानी पड़े तो कोई समस्या नहीं है। योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अयोध्या में साहित्य महोत्सव की शुरुआत करने के बाद अपने संबोधन में 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद अयोध्या के विकास और राम मंदिर के प्रति अपनी आस्था का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उनकी तीन पीढ़ियां (गोरक्षपीठ के दिवंगत महंत दिग्विजय नाथ, ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ, स्वयं योगी आदित्यनाथ) राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए समर्पित थीं। उन्होंने एक प्रसंग सुनाते हुए कहा, मुझे कोई समस्या नहीं थी, लेकिन नौकरशाही में एक बड़ा वर्ग ऐसा था जो कहता था कि अयोध्या जाने में भी विवाद खड़ा होगा। मैंने कहा कि विवाद खड़ा होता है तो हो, लेकिन अयोध्या के बारे में भी सोचने की जरूरत है। एक वर्ग ऐसा था जिसने कहा कि आप जाएंगे तो फिर राम मंदिर की बात होगी, मैंने कहा, कौन हम सत्ता के लिए आए हैं। राम मंदिर के लिए अगर सत्ता भी गंवानी पड़े तो कोई समस्या नहीं है।

उन्होंने राम मंदिर आंदोलन की चर्चा करते हुए कहा कि अयोध्या को वह सम्मान मिलना चाहिए, जिसकी वह सदियों से हकदार रही है।

योगी ने पीएम मोदी की सराहना की

सीएम योगी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने विरासत और विकास को साथ जोड़कर भारत की परंपराओं को पुनर्जीवित करने का कार्य किया है, जिससे एक बड़ी शुरुआत हुई है। इस समारोह में अयोध्या के प्रभारी एवं उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, पद्मश्री मालिनी अवस्थी समेत कई प्रमुख लोग उपस्थित योगी ने शुक्रवार को यहां शीतल पेय बॉटलिंग संयंत्र की भी शुरुआत की।

अयोध्या सनातन धर्म की आधारभूमि

सीएम योगी योगी आदित्यनाथ ने महर्षि नारद को उद्धृत करते हुए कहा कि इस धरती पर लिखने के लिए कोई महामानव है तो वह केवल राम है, राम पर लिखेंगे तो लेखनी धन्य हो जाएगी। योगी ने कहा कि अयोध्या भारत के सनातन धर्म की एक आधारभूमि है। सप्तपुरियों में प्रथम पुरी है। योगी ने कहा कि अयोध्या में 2016-17 में पूरे साल भर में मात्र 2.34 लाख श्रद्धालु अयोध्या आते थे, लेकिन आज 16 करोड़ से अधिक लोग यहां भगवान श्री राम का दर्शन करने आ रहे हैं। यह अयोध्या की बढ़ती महिमा और भव्यता का प्रतीक है। उन्होंने महर्षि वाल्मीकि के रामायण और संत तुलसीदास के रामचरितमानस की रचना का उल्लेख करते हुए कहा कि अयोध्या हमेशा से साहित्य और संस्कृति का केंद्र रही है। रामायण दुनिया का पहला महाकाव्य बना, जिसने साहित्य को नई दिशा दी।

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