Thursday, November, 27,2025

रक्षा नवाचार के स्वर्णिम युग में प्रवेश कर रहा है भारत: राजनाथ

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि तेजी से बदलती दुनिया और भू-राजनीति के बीच, भारत को प्रतिक्रियावादी दृष्टिकोण से आगे बढ़कर खुद को भविष्य के लिए तैयार करने के वास्ते 'सक्रिय' (प्रोएक्टिव) दृष्टिकोण अपनाना होगा।

सिंह ने नवाचार और स्वदेशीकरण पर नौसेना के प्रमुख कार्यक्रम 'स्वावलंबन 2025 में अपने संबोधन में कहा कि भारत रक्षा नवाचार के स्वर्णिम युग में प्रवेश कर रहा है।
सिंह ने यहां मानेकशॉ सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि रक्षा क्षेत्र में हमें बड़े पैमाने पर, अधिक साहस के साथ और तेज गति से आगे बढ़ना होगा। उन्होंने निजी क्षेत्र से आग्रह किया कि वे केवल मुनाफा कमाने तक सीमित न रहें, बल्कि 'मुनाफे के साथ-साथ राष्ट्रहित' को भी ध्यान में रखें।

उन्होंने जोर देकर कहा कि जितने अधिक नवप्रवर्तक आगे बढ़ेंगे, भारत उतना ही अधिक सुरक्षित, सक्षम और आत्मनिर्भर बनेगा। 'स्वावलंबन 2025' का आयोजन नौसेना के नेतृत्व में लगभग दो सप्ताह तक चले अभ्यास 'त्रिशूल' के समापन के कुछ दिनों बाद किया जा रहा है। 'त्रिशूल' का समापन 13 नवंबर को गुजरात के पोरबंदर में सौराष्ट्र तट पर हुआ था। अपने संबोधन से पहले, सिंह ने प्रदर्शनी हॉल का भी दौरा किया और मंगलवार से शुरू हुए दो-दिवसीय कार्यक्रम में भाग लेने वाले कुछ लोगों से बातचीत की।

कार्यक्रम में ये भी थे मौजूद

प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी, सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारी, डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी. कामत और रक्षा क्षेत्र के कई विशेषज्ञ एवं नवप्रवर्तक मंच पर उपस्थित थे।

भारत में जहाज निर्माण का वैश्विक केंद्र बनने की क्षमता

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक अन्य कार्यक्रम में वैश्विक रक्षा कंपनियों से भारत के जीवंत जहाज निर्माण उद्योग में अवसरों का लाभ उठाने और अगली पीढी की समुद्री क्षमताओं का सह-विकास करने का मंगलवार को आह्वान किया। सिंह रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा आयोजित संगोष्ठी 'समुद्र उत्कर्ष' को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत में जहाज निर्माण, जहाज मरम्मत और समुद्री नवाचार का वैश्विक केंद्र बनने की क्षमता है क्योंकि भारतीय जहाज निर्माण उद्योग पहले ही विमानवाहक पोत, अनुसंधान पोत और वाणिज्यिक जहाज बना चुका है। भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत, कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियां और स्टील्थ फ्रिगेट (रडार को चकमा देने में सक्षम पोत) और विध्वंसक जहाज जैसी प्रमुख परियोजनाएं न केवल देश की नौसैनिक ताकत को रेखांकित करती हैं, बल्कि डिजाइन क्षमता और स्वचालन को भी बढ़ाती हैं।

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