Thursday, November, 27,2025

संविधान की ताकत... मुझ जैसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री बना दिया

नई दिल्ली: हर वर्ष 26 नवंबर को पूरे देश में संविधान दिवस मनाया जाता है। इस विशेष अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को देशवासियों के नाम एक भावनात्मक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने संविधान के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की और अपने राजनीतिक जीवन के अनुभव साझा किए। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि वर्ष 2015 में उनकी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में घोषित किया था ताकि इस पवित्र दस्तावेज के महत्व को और व्यापक रूप से समझा जा सके। प्रधानमंत्री ने अपने पत्र में लिखा कि संविधान की शक्ति ने एक साधारण और आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आने वाले व्यक्ति को 24 वर्ष से अधिक समय तक सरकार का नेतृत्व करने का अवसर दिया। उन्होंने उल्लेख किया कि उन्हें आज भी 2014 का वह क्षण याद है, जब पहली बार संसद भवन पहुंचकर उन्होंने लोकतंत्र के इस मंदिर की सीढ़ियों को छूकर नमन किया था। मोदी ने बताया कि 2019 के चुनाव परिणाम के बाद संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में जाते समय उन्होंने सम्मान के रूप में संविधान को अपने माथे से लगाया।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद और अंबेडकर सहित संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि

पीएम मोदी ने कहा कि संविधान ने मुझ जैसे अनगिनत लोगों को बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने की शक्ति दी है। उन्होंने संविधान सभा के वरिष्ठ सदस्यों और निर्माताओं डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. भीमराव अंबेडकर तथा अनेक महिला सदस्यों को श्रद्धांजलि दी और उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण की सराहना की। इस वर्ष का संविधान दिवस विशेष इसलिए भी है क्योंकि यह सरदार वल्लभभाई पटेल और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती, वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ और गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत की सालगिरह के साथ मेल खाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये महान व्यक्तित्व हमें संविधान के अनुच्छेद 51 (ए) में वर्णित नागरिक कर्तव्यों की याद दिलाते हैं। भविष्य की योजनाओं पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत 2047 में स्वतंत्रता के 100 वर्ष और 2049 में सविधान को अंगीकार करने के 100 वर्ष पूरे करेगा। आने वाले दो दशकों में लिए जाने वाले निर्णय देश की भावी पीढियों का भविष्य तय करेंगे।

नौ भाषाओं में डिजिटल संस्करण जारी

संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, उड़िया और असमिया में संविधान के डिजिटल संस्करण का लोकार्पण किया। कार्यक्रम में राष्ट्रपति के नेतृत्व में संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ किया गया। समारोह में उप राष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू सहित कई केन्द्रीय मंत्री और सांसद उपस्थित रहे।

स्वतंत्रता केवल अधिकार नहीं, कर्तव्य भी: मोदी

करमसद (गुजरात)। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वतंत्रता सिर्फ अधिकारों तक सीमित नहीं, बल्कि कर्तव्यों और राष्ट्रीय एकता के लिए भी है। उनका संदेश गुजरात के करमसद से 'एकता मार्च' की शुरुआत के मौके पर पढ़ा गया। यह मार्च सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक आयोजित किया जा रहा है। मोदी ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में पदयात्राओं ने एकजुटता और आत्मविश्वास बढ़ाया। उन्होंने संविधान दिवस पर आयोजित इस मार्च को राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने वाला प्रयास बताया।

 

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