Monday, August, 11,2025

भागवत ने चिकित्सा व शिक्षा के व्यावसायीकरण पर जताई चिंता

इंदौर (मध्यप्रदेश):  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने देश में चिकित्मा और शिक्षा के व्यावसायीकरण पर चिंता जताते हुए रविवार को कहा कि दोनों महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आम लोगों को 'सहज, सुलभ, सस्ती और सहृदय' सुविधाएं मुहैया कराया जाना वक्त की मांग है। भागवत ने इंदौर में कैंसर के मरीजों के किफायती इलाज के लिए 'माधव सृष्टि आरोग्य केंद्र' के उद्घाटन समारोह के दौरान यह बात कही। यह केंद्र 'गुरुजी सेवा न्यास' नाम के परमार्थ संगठन ने शुरू किया है।

संघ प्रमुख ने कहा कि चिकित्सा और शिक्षा की सारी योजनाएं आज समाज के हर व्यक्ति की बहुत बड़ी आवश्यकता बन गई है, लेकिन दुर्भाग्य ऐसा है कि दोनों क्षेत्रों की (अच्छी) सुविधाएं आम आदमी की पहुंच और आर्थिक सामर्थ्य के दायरे से बाहर हैं। उन्होंने कहा कि पहले चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्रों में सेवा की भावना से काम किए जाते थे, लेकिन अब इन्हें भी 'कमर्शियल' (वाणिज्यिक) बना दिया गया है।

संघ प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि जनता को चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्रों में 'सहज, सुलभ, सस्ती और सहृदय' सुविधाएं मुहैया कराया जाना वक्त की मांग है और ये सुविधाएं अधिक से अधिक स्थानों पर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 'व्यावसायीकरण' के कारण इन सुविधाओं का 'केन्द्रीकरण' भी हो जाता है। उन्होंने कहा कि यह कॉर्पोरेट का जमाना है, तो शिक्षा (सुविधाओं) का हब (केंद्र) बन जाता है।

सक्षम और समर्थ लोगों से मदद का आह्वान

संघ प्रमुख ने देश में कैंसर के महंगे इलाज पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कैसर के इलाज की बहुत अच्छी सुविधाएं केवल आठ-दस शहरों में मौजूद है, जहां देश भर के मरीजों और उनके परिजनों को बड़ी धनराशि खर्च करके जाना पड़ता है। भागवत ने आम लोगों के लिए चिकित्सा और शिक्षा की अच्छी सुविधाएं पेश करने के लिए समाज के सक्षम और समर्थ लोगों से आगे आने का आह्वान किया।

भागवत का ओडिशा दौरा 13 से

भागवत 13 अगस्त से ओडिशा के तीन दिवसीय दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वे पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती से मुलाकात करेंगे और कटक में एक कार्यक्रम में भाग लेंगे। आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी सुमंत कुमार पांडा ने बताया कि भागवत 13 अगस्त की शाम भुवनेश्वर पहुंचेंगे और मंचेश्वर क्षेत्र में उत्कल बिपन्ना सहायता समिति कार्यालय में ठहरेंगे।

भारत में सेवा धर्म की तरह, सामाजिक जिम्मेदारी होती है निभानी

भागवत ने कहा कि कॉपस्टि सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) जैसे शब्द बेहद टेक्निकल (तकनीकी) और फॉर्मल (औपचारिक) हैं। सेवा के संदर्भ में हमारे यहां एक शब्द है-धर्म। धर्म यानी सामाजिक जिम्मेदारी को निभाना। धर्म समाज को जोड़ता है और समाज को उन्नत करता है। उन्होंने
यह भी कहा कि पश्चिमी देश विविधता पर विचार किए बगैर चिकित्सा क्षेत्र के अपने मानक पूरी दुनिया पर लागू करने की सोच रखते हैं, लेकिन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में मरीजों का उनकी अलग-अलग प्रकृति के आधार पर विशिष्ट तौर पर इलाज किया जाता है। उन्होंने कहा कि कुछ बीमारियां ऐसी
हैं जिनमें एलोपैथी के जानकार भी आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज की सलाह देते हैं और इसी तरह कुछ रोगों के मामले में होम्योपैथी और नेचुरोपैथी ज्यादा कारगर मानी जाती है। संघ प्रमुख ने कहा कि मेरा यह दावा बिल्कुल नहीं है कि कोई चिकित्सा पद्धति श्रेष्ठ या कमतर है, लेकिन मनुष्यों की विविधता
को ध्यान में रखते हुए मरीजों को इलाज के सभी विकल्प उपलब्ध कराए जाने चाहिए। भागवत ने जिस 'माथव सृष्टि आरोग्य केंद्र' का उ‌द्घाटन किया, उसमें मरीजों के लिए एलोपैथी के साथ ही आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, होम्योपैथी, एक्यूपंक्चर और न्यूरोपैथी की सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

 

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