Sunday, April, 13,2025

राणा के प्रत्यर्पण से 26/11 में पाक की भूमिका उजागर होने की उम्मीद

नई दिल्ली/न्यूयॉर्क: अमेरिका से प्रत्यर्पित किए गए तहव्वुर हुसैन राणा को अब मुंबई में आतंकवादी हमले (26/11) के मामले में भारत में न्यायिक प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा और जांचकर्ताओं को उम्मीद है कि उससे पूछताछ में इस आतंकवादी हमले में पाकिस्तान के सरकारी तत्वों की भूमिका उजागर होगी। इधर, अमेरिका ने गुरुवार को कहा कि मुंबई आतंकवादी हमलों के मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा का प्रत्यर्पण इस बर्बर हमले के पीड़ितों के लिए न्याय पाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

अमेरिकी न्याय विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि अमेरिका ने बुधवार को पाकिस्तान के मूल निवासी और कनाडाई नागरिक राणा को 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों में उसकी कथित भूमिका से जुड़े 10 आपराधिक आरोपों पर मुकदमा चलाने के लिए भारत प्रत्यर्पित किया।

प्रवक्ता ने 'पीटीआई' को दिए एक बयान में कहा कि राणा का प्रत्यर्पण उन छह अमेरिकियों और कई अन्य पीड़ितों के लिए न्याय पाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो बर्बर हमलों में मारे गए थे। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण के नेतृत्व में एक बहु-एजेंसी टीम 64 वर्षीय राणा को लेकर गुरुवार शाम दिल्ली पहुंची, जिससे उसके प्रत्यर्पण को लेकर कई दिनों से चल रही अटकलों का अंत हो गया। ज्ञात रहे कि मुंबई में 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा 26 नवंबर 2008 को किए गए भीषण हमलों में 166 लोग मारे गए थे, जिनमें अमेरिकी, ब्रिटिश और इजराइली नागरिक शामिल थे।

लश्कर व हुजी आतंकियों की भूमिका आई थी सामने

सूत्रों के अनुसार, मुंबई हमलों की जांच के दौरान हमले में आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल जिहादी इस्लामी (हूजी) के वरिष्ठ कमांडर हाफिज मोहम्मद सईद, जकीउर-रहमान लखवी, साजिद माजिद उर्फ वासी, इलियास कश्मीरी और अब्दुर रहमान हाशिम सैयद उर्फ मेजर अब्दुर्रहमान उर्फ पाशा की भूमिका सामने आई थी। सूत्रों ने कहा कि इन आरोपियों ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के अधिकारियों-मेजर इकबाल उर्फ मेजर अली और मेजर समीर अली उर्फ मेजर समीर के साथ सांठगांठ में काम किया। सूत्रों ने बताया कि राणा लगातार मेजर इकबाल के संपर्क में था।

कौन है तहव्वुर हुसैन राणा

तहव्वुर हुसैन राणा 64 साल का पाकिस्तान में जन्मा कनाडाई नागरिक है। वह 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी है। उसका जन्म पाकिस्तान के पंजाब के साहीवाल जिले के चिचावतनी शहर में हुआ था।

पाकिस्तानी सेना की मेडिकल कोर में किया काम

पाकिस्तान में चिकित्सा की पढ़ाई करने के बाद उसने वहां सेना की मेडिकल कोर में काम किया। वह 1990 के दशक के अंत में सेना छोडकर कनाडा चला गया। बाद में उसे कनाडा की नागरिकता मिल गई।

कनाडा में शुरू की कंसल्टेंसी फर्म

राणा ने कनाडा में अपनी आव्रजन कंसल्टेंसी फर्म 'फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज' शुरू की। बाद में, वह अमेरिका चला गया और शिकागो में एक कार्यालय स्थापित किया। अपनी फर्म के माध्यम से राणा ने डेविड कोलमैन हेडली को मुंबई में टोही मिशन चलाने के लिए संरक्षण प्रदान किया ताकि आतंकवादी हमले कर सकें।

मोदी के अमेरिकी दौरे से खुली प्रत्यर्पण की राह

• 13 फरवरी, 2025: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि उनके प्रशासन ने साजिशकर्ताओं और दुनिया के सबसे बुरे लोगों में से एक को भारत में न्याय का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित करने को मंजूरी दे दी है।

यूं आया भारत के शिकंजे में

2009 में अमेरिका में हुई थी गिरफ्तारी

• 27 अक्टूबर, 2009: मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने गिरफ्तार किया। राणा मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी है।
• 9 जनवरी, 2011: राणा को अमेरिकी जिला न्यायालय में तीन सप्ताह की सुनवाई के बाद दोषी ठहराया गया और डेनमार्क में रहकर आतंकवादी साजिश रचने और लश्कर-ए-तैयबा को सहायता प्रदान करने के लिए 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई।

प्रत्यर्पण की दिशा में कदम

• 24 दिसंबर, 2011: एनआईए ने राणा के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका से अनुरोध भी किया।
• 16 मई, 2023: कैलिफोर्निया के मध्य जिला स्थित जिला न्यायालय ने राणा के प्रत्यर्पण का आदेश दिया था

अमेरिका में राणा के कानूनी दाव-पेचों का अंत • 27 फरवरी, 2025: राणा ने अमेरिकी उच्चतम न्यायालय की एसोसिएट न्यायाधीश और 'नाईथ सर्किट' की सर्किट न्यायाधीश एलेना कागन के समक्ष बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित मुकदमे पर रोक लगाने के लिए आपातकालीन आवेदन प्रस्तुत किया था। मार्च में न्यायाधीश कागन ने आवेदन अस्वीकार कर दिया।

• 7 अप्रैल, 2025: अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने राणा की समीक्षा याचिका खारिज की।
• 10 अप्रैल, 2025: राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित किया गया।

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