जयपुर: राजस्थान में भी अब यूपी की तर्ज पर लाउड स्पीकर्स की तेज आवाज को लेकर बवाल खड़ा हो गया है। जयपुर शहर के हवामहल से भाजपा विधायक बालमुकुंदाचार्य ने लाउडस्पीकर की तेज आवाज पर सवाल उठाया है, जिसे लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हो गए हैं। बालमुकुंदाचार्य के बयान के बाद जयपुर में मस्जिद में अजान के लिए लगे लाउड स्पीकर की आवाज को लेकर सियासत गरमाने लगी है।
बालमुकुंदाचार्य का कहना है कि जान-बूझकर लाउडस्पीकर की आवाज तेज की जा रही है और घरों पर भी लाउड स्पीकर लगाए जा रहे हैं। उन्होंने जयपुर पुलिस कमिश्नर से मिलकर तेज आवाज में बजने वाले लाउड स्पीकरों पर शिकंजा कसने की मांग की है। विधायक बालमुकुंदाचार्य सोमवार को जयपुर पुलिस कमिश्नरेट पहुंचे, जहां उन्होंने कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ से मुलाकात की और उन्हें एक पत्र भी सौंपा। विधायक ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आजकल मस्जिद के लाउड स्पीकर का वॉल्यूम तेज किया जा रहा है।
घरों पर भी लाउड स्पीकर लगाए जा रहे हैं। हमने घरों पर लाउड स्पीकर लगाने पर आपत्ति जताई है। कई लोगों को माइग्रेन की समस्या है, सिरदर्द होता है। कई बच्चों की परीक्षा है, युवा भर्ती परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। कहीं शोक का माहौल होता है, वहां भी जानबूझकर तेज वॉल्यूम पर लाउड स्पीकर बजाया जाता है। हमने पुलिस से मांग की है कि निर्धारित सीमा से अधिक वॉल्यूम पर लाउड स्पीकर बजाने वालों पर कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि कमिश्नर से मिलकर उन्हें अवगत करवाया गया कि होली और धुलंडी पर शहर के प्रमुख इलाकों में भय का माहौल बनाने के लिए असामाजिक तत्वों ने बिना अनुमति वाहन रैली निकाली और रैली में भड़काऊ नारेबाजी की।
लाउड स्पीकर को लेकर क्या है सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन
सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई, 2005 को ध्वनि प्रदूषण पर अहम फैसला सुनाते हुए कहा था कि देश के हर व्यक्ति को शांति से रहने का अधिकार है, जो उसके जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा है। सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी सार्वजनिक स्थल पर रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक शोर करने वाले उपकरणों पर पाबंदी लगाई हुई है। तत्कालीन चीफ जस्टिस आर.सी. लाहोटी और जस्टिस अशोक भान की खंडपीठ ने यह आदेश दिया था। कोर्ट ने साफ किया था कि ऐसे लोग अनुच्छेद 19 (1) (ए) में मिली अभिव्यक्ति की आजादी की बात करते हैं, लेकिन लाउड स्पीकर चालू कर कोई भी व्यक्ति इस अधिकार का दावा नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी के पास बोलने का अधिकार है तो दूसरे के पास इसे नहीं सुनने का भी अधिकार है। अगर किसी को जबरदस्ती तेज आवाज में लाउडस्पीकर सुनाया जाता है तो यह उसके शांति और आराम से प्रदूषणमुक्त जीवन जीने के अनुच्छेद 21 में मिले मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा।
राज्य सरकार लाउड स्पीकर को जब्त करने का प्रावधान करें
कोर्ट ने अपने फैसले में सार्वजनिक स्थल पर लाउडस्पीकर की आवाज का पैमाना तय किया था। कोर्ट ने कहा था कि सार्वजनिक स्थल पर लगे लाउडस्पीकर की आवाज उस क्षेत्र के लिए तय शोर के मानकों से 10 डेसिबल (ए) से ज्यादा नहीं होगी या फिर 75 डेसिबल (ए) से ज्यादा नहीं होगी। कोर्ट ने यह भी साफ किया था कि जहां भी तय मानकों का उल्लंघन हो, वहां राज्य सरकार लाउडस्पीकर को जब्त करने का प्रावधान करें। ध्वनि प्रदूषण अधिनियम नियम, 2000 के मुताबिक, व्यावसायिक, शांत और आवासीय क्षेत्रों के लिए ध्वनि तीव्रता की सीमा (डेसिबल में) तय की गई है।
यूपी सहित कई राज्यों में अब 'लाउड' नहीं 'स्पीकर'
उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में प्रशासन ने स्पीकर उतारने का काम किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने अफसरों को सख्त आदेश दिए हैं कि मंदिर हो या मस्जिद, आरती हो या अजान, धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर अगर नियम तोड़ रहे हैं तो उन्हें हटा दिया जाए। इसको लेकर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की गाइडलाइंस भी हैं, जिनका पालन भाजपा शासित कई राज्यों में किया जा चुका है।
डोटासरा ने विधायक को बताया 'नमूना'
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बालमुकुंदाचार्य के बयान को लेकर उन्हें 'नमूना' बताते हुए कहा कि यह विधायक आए दिन नौटंकी करते रहते हैं। कभी महिलाओं के आईडी कार्ड चेक करते हैं, कभी बच्चों के पीछे दौड़ पड़ते हैं। वे जैसी बयानबाजी और हरकतें कर रहे हैं, मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वे सुरक्षित रहें। सरकार और गृहमंत्री से मांग करता हूं कि उन्हें एस्कॉर्ट और भारी सुरक्षा मुहैया कराई जाए। पता नहीं कब किसका दिमाग फिर जाए और बड़ा हादसा हो जाए। सरकार को उनके दिमाग का इलाज कराना चाहिए। डोटासरा ने सोमवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बातचीत में कहा कि बालमुकुंदाचार्य को जनता ने क्षेत्र की समस्याएं सुलझाने को चुना है, न कि हिंदू-मुसलमान करने के लिए। वे 200 विधानसभा सदस्यों में से एक है। क्षेत्र में 36 कौम के लोगों को साथ लेकर काम करना चाहिए।
यूपी की तर्ज पर कानून लाने में संकोच नहीं करेंगे: पटेल
कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा है कि देश में सभी धर्मावलंबियों को अपने-अपने धर्म के अनुसार पूजा पद्धति करने का अधिकार है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इससे किसी अन्य को परेशानी न हो, उनकी नींद बाधित न हो और अमन-शांति को कोई खतरा न हो। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा कोई कार्य होता है तो सरकार आवश्यकतानुसार सख्त कानून लाने में झिझकेगी नहीं।
कुछ मिनट के लिए आरती या अजान परेशानी नहीं
वैसे इन मामलों पर मैं राय नहीं देता। सवाल है अगर रातभर लाउड स्पीकरों से शोर हो तो वे लोग कुसूरवार हैं, लेकिन यदि कुछ मिनट के लिए मंदिर में आरती हो रही है या मस्जिद में अजान लग रही है तो यह किसी के लिए भी परेशानी का सबब नहीं है बल्कि धर्म में आस्था रखने वालों के लिए यह एक व्यवस्था है। सभी इनका सम्मान करें।
कानून सबके लिए बराबर
सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन है। सुप्रीम कोर्ट का जो भी जजमेंट होता है वह एक कानून होता है। सेंट्रल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड गाइडलाइंस भी है। कानून की पालना सुनिश्चित होनी चाहिए। कानून सबसे लिए बराबर होता है। उसकी पालना करना सभी के लिए जरूरी है।