Wednesday, June, 25,2025

'जजों को सेवानिवृत्ति के बाद पांच साल तक कोई दायित्व नहीं मिले'

नई दिल्ली: संसद की एक स्थायी समिति की बैठक में मंगलवार को कई सांसदों ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायाधीश रहते न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आवास से जले हुए नोट मिलने के मामले में कोई प्राथमिकी क्यों दर्ज नहीं की गई है और न्याय विभाग को इस प्रकरण को लेकर विस्तृत नोट तैयार करना चाहिए। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

सांसदों ने न्यायाधीशों के लिए एक आचार संहिता तय करने की भी मांग की और इस बात पर जोर दिया कि उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद कम से कम पांच साल की अवधि तक कोई सरकारी उत्तरदायित्व नहीं मिलना चाहिए।

कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय संबंधी संसदीय समिति की बैठक के दौरान विभिन्न दलों के सांसदों ने इस मुद्दे को उठाया और विधि एवं न्याय मंत्रालय से सवाल पूछे कि वह न्यायपालिका से संबंधित मामलों में क्या कर रहा है। बैठक में न्याय विभाग के सचिव ने उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता के मुद्दों और न्यायाधीशों द्वारा सेवानिवृत्ति के बाद कार्यभार संभालने के संबंध में 'न्यायिक प्रक्रियाओं और उनके सुधार' पर एक प्रस्तुति दी थी।

सेवानिवृत्ति के तत्काल बाद सांसद या अन्य पद पर न हो नियुक्ति

सांसदों ने न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति के बाद की नियुक्तियों पर भी विचार-विमर्श किया और कहा कि उन्हें सेवानिवृत्ति के पांच वर्ष बाद तक ऐसी नियुक्तियां नहीं मिलनी चाहिए। कुछ सांसदों ने यह भी कहा कि पूर्व न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद भारत के राष्ट्रपति द्वारा सांसद या किसी अन्य पद पर नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए। ज्ञात रहे कि नकदी बरामद होने के बाद न्यायाधीश वर्मा को उनकी मूल अदालत इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापस भेज दिया गया। उन्होंने उनके खिलाफ लगे आरोपों से इनकार किया है।

भाजपा के बृजलाल हैं समिति के अध्यक्ष

राज्यसभा की इस समिति के अध्यक्ष भाजपा सदस्य बृजलाल हैं और इसमें भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (मनोनीत सांसद), पूर्व कानून राज्य मंत्री पी पी चौधरी, तृणमूल कांग्रेस सांसद सुखेंदु शेखर रे और कल्याण बनर्जी, काग्रेस के विवेक तन्खा और द्रमुक के पी. विल्सन और ए. राजा प्रमुख सदस्य हैं।

न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता पर विधेयक की मांग

बैठक में सदस्यों ने न्यायाधीशों की आचार संहिता पर उठाए गए विभिन्न मुद्दों और चिताओं पर गौर करते हुए एक व्यापक विधेयक की भी मांग की। सांसदों ने सवाल किया कि न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आवास से बेहिसाब नकदी की बरामदगी के मामले पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई और उन्होंने आचार संहिता लागू करने की मांग की। कुछ सांसदों ने यह भी पूछा कि न्यायाधीश वर्मा को हटाने का कोई प्रस्ताव अब तक क्यों नहीं लाया गया है।

न्यायसंगत कार्रवाई हो

सूत्रों ने कहा कि कुछ लोगों की यह मांग थी कि कार्रवाई न्यायसंगत होनी चाहिए क्योंकि एक छोटे से भ्रष्टाचार के मुद्दे पर एक सरकारी कर्मचारी को अपनी नौकरी गंवानी पड़ सकती है, लेकिन बेहिसाब नकदी की बरामदगी के बाद भी न्यायपालिका के एक वरिष्ठ सदस्य के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई है।

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