Friday, June, 27,2025

9 साल पुराना कानून स्पष्ट, फिर भी रिवीजन कमेटी क्यों नहीं?

जयपुर: राजस्थान हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग की लापरवाही और अदालती आदेशों की अवहेलना को लेकर गंभीर रुख अपनाते हुए दो अलग-अलग मामलों में वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया है। पहले मामले में स्कूल फीस नियंत्रण अधिनियम, 2016 के तहत रिवीजन कमेटी का गठन न होने पर प्रमुख शिक्षा सचिव को 20 मई तक शपथ पत्र पेश करने का आदेश दिया है। वहीं, तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2006 से जुड़े मामले में प्रारंभिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट को उसी दिन अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जवाब देने को कहा है।

न्यायमूर्ति अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने भारतीय विद्या भवन विद्याश्रम की याचिका पर सुनवाई करते हुए स्कूल फीस नियंत्रण अधिनियम, 2016 के तहत रिवीजन कमेटी के गठन में देरी पर नाराजगी जताई है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने बताया कि फीस निर्धारण को लेकर स्कूल फीस कमेटी के फैसले को डिवीजन कमेटी ने निरस्त कर दिया था। अधिनियम की धारा 10 के तहत डिवीजन कमेटी के आदेश को रिवीजन कमेटी में चुनौती देने का प्रावधान है, लेकिन सरकार ने नौ साल बाद भी रिवीजन कमेटी का गठन नहीं किया है। पिछली सुनवाई में सरकार ने मई 2024 में तीन सप्ताह में कमेटी गठन का आश्वासन दिया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कोर्ट ने इसे गंभीर मानते हुए डिवीजन कमेटी के आदेश पर रोक लगाई और प्रमुख शिक्षा सचिव को 20 मई को शपथ पत्र के साथ व्यक्तिगत या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जवाब देने का निर्देश दिया है।

तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में अवमानना याचिका, शिक्षा निदेशक तलब

दूसरे मामले में मुख्य न्यायाधीश एम. एम. श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति मुकेश राजपुरोहित की खंडपीठ ने सुमन कुमारी व अन्य की अवमानना याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता तरुण चौधरी ने बताया कि तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2006 में याचिकाकर्ता को एनटीटी प्रशिक्षण के कारण नियुक्ति से वंचित किया गया था। 17 अप्रैल, 2008 के परिपत्र के अनुसार एनटीटी प्रशिक्षित अभ्यर्थी छह माह का ब्रिज कोर्स कर बीएसटीसी के समकक्ष माने जाते हैं। हाईकोर्ट ने 6 जनवरी, 2022 को आदेश दिया था कि याचिकाकर्ता को ब्रिज कोर्स कराकर रिक्त पदों पर नियुक्ति दी जाए। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट में चुनौती के बावजूद 28 जुलाई, 2023 को बरकरार रहा। इसके बाद न तो ब्रिज कोर्स कराया और न नियुक्ति दी। खंडपीठ ने प्रारंभिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट को 20 मई को पेश होकर जवाब देने का आदेश दिया है।

पंचायतों एवं स्थानीय निकायों के पुनर्गठन से जुड़े मामलों की सुनवाई

इसके अलावा पंचायतों और स्थानीय निकायों के पुनर्गठन से जुड़े मामले में जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने माया व अन्य की तीन दर्जन से अधिक याचिकाओं को खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए भेजा। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद, अतिरिक्त महाधिवक्ता जी. एस. गिल और कपिल प्रकाश माथुर ने पक्ष रखा, जबकि याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर अधिवक्ता आर.एन. माथुर, शैलेश प्रकाश शर्मा, आशीष सक्सेना, लक्ष्मीकांत शर्मा, विजय पाठक, राम प्रताप सैनी और राहुल कामवार ने पैरवी की। इन मामलों की सुनवाई अब 26 मई को होगी।

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